हमारे लिए ऊर्जा के परम-स्रोत...

Friday 10 May 2013






परिवर्तन-2

पहले किसी पर उपकार कर दो 
तो वह अहसान मानता था 
और उस उपकार का ऋण चुकाता था

फिर आदमी ने अहसान मानना छोड़ दिया 
और काम निकलते ही 
पहचानना बंद कर दिया

और अब तो यह समय आ गया है 
कि आप जिसके साथ उपकार करते हैं 
वो आपका शत्रु बन जाता है 
और आपकी ही जड़ें काटता है

(कविता-संग्रह "एक किरण उजाला" से)

No comments:

Post a Comment

आपकी प्रतिक्रिया हमारा उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन करेगी...