अंतर्मन की लहरें Antarman Ki Lehren
सारिका मुकेश का ब्लॉग
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Monday 14 May 2012
कविता चली...
हाइकु कविताएं
कविता चली
लेखक के मन से
पाठक तक
घर से दूर
अक्सर यूँ लगे हो
ज्यों बनवास
पकते फल
निशाना लगाने को
पुकारते-से
माँ की गोद में
खिलखिलाता बच्चा
जैसे कमल
कविता बही
लेखक के मन से
काग़ज़ पर
*****
1 comment:
संगीता स्वरुप ( गीत )
1 February 2013 at 10:51
बहुत सुंदर हाइकु
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बहुत सुंदर हाइकु
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